Friday, April 13, 2012

गरीबों को क्यों नहीं मिलते साइंस के फायदे ?

अभी 12/04/12 की तारीख को हिंदी के नव भारत टाइम्स के एडिटोरिअल में छपा था – की “ गरीबों को क्यों नहीं मिलते साइंस के फायदे ? और सब टाइटल में था की गंजापन दूर करने के शोध और मलेरिया के शोध में दस प्रतिशत का फर्क है “ मतलब की गंजा वाले पर दस % ज्यादा खर्च होते हैं !
जिस जनाब कुमार विजय ने ये लिखा था वो नेशनल इनोवेशन फाउन्डेशन एह्म्दाबाद ज़रूर हो कर आये हैं – वंहा के दो जानो का ज़िक्र था – वो काश्मीर के उस इकलोते आविष्कारक प्रोफ़ेसर अनिल गुप्ता के प्यारे उस इन्नोवेटर से शायद नहीं मिले जो की जब भी मुझ से मिलता है तो जिद करता है की विग ज़रूर दिलवा देना – अबकी दिल्ली आऊं तो !
तो साहेबान कद्रदान मेहरबान ये दिल्ली है , और लोग कहते हैं की यंहा नेशनल लेवल की पोलिटकस होती है ! – अरे तो गुजरात में क्या होता है ? – मोदी से लेकर अनिल गुप्ता तक क्या होता है ? मेरे जेसे 4 पेटेंट [ अपने दम पर –  www.nifindia.org  not suported ] और अन्य 15 -- 16 आविष्कार लिए झंकते रहते हैं दाल और रोटी को और काश्मीर वाला उड़ा ले जाता है प्रोफ़ेसर का दिया बर्गर – वो क्या है ना की वंहा [ कश्मीर ] के क़ानून कायदे कानूनन अलग से बने हैं --- और प्रोफ़ेसर को भी भाषण देने में अच्छा लगता है की – काश्मीर से कन्याकुमारी तक ........... उनकी चलती है – और.... [ पेज थ्री फिल्म का डायलोग था की ] “ जिसकी चलती है उसकी गा** पे मोमबत्ती जलती है “ इसे सेंसर बोर्ड ने पास कर दिया था – पर मुझे लिखते हुए झिझक हो रही है --- फिर भी प्रोफ़ेसर साहेब कहते हैं की शुक्ला जी आप की भाशा में सहनशीलता खोती जा रही है !
और हैरान तो मैं तब हू़या जेब मने बेरा पड्या की ये प्रोफ़ेसर अनिल गुप्ता साहेब सैम पित्रोदा वाली उस खुराफात [ http://www.innovationcouncil.gov.in/ ] में भी शामिल है जिसे की भारत सरकार ने न जाने कितने खरब रूपये दे दिए हैं या की देने हैं ?
अब क्या है ना की हमारे देश में बनियों का पैसे पर हमेशा से वर्चस्व रहा है तो जन्हा जन्हा पैसे वंहा वंहा गुप्ता जी, जिसने जो ऊखाड्नी है उखाड़ लो !
हाँ तो बात हो रही थी की “ गरीबों को क्यों नहीं मिलते साइंस के फायदे ? और सब टाइटल में था की गंजापन दूर करने के शोध और मलेरिया के शोध में दस प्रतिशत का फर्क क्युओं है “
अबे जिस देश में आलम ये है की हर डाल पे उल्लू बैठें हें अंजामे गुलिस्ताँ क्या होगा ?
दिल्ली से आपका घास फूस के लेवल वाला आविष्कारक !
अगस्त्य नारायण शुक्ल